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Showing posts from May, 2017

रास्ता मैं बतलाता हूँ - Hindi Poem By Ashish Awasthi

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राहों के पत्थर देखे इतने के अब नहीं संभल पाता हूँ अपने पीछे चलते चलते खुद से दूर निकल जाता हूँ अब तो कोई रोक लो आके मैं लीक तोड़ कर जाता हूँ फिर न कहना, के कहा नहीं ? सब पहले से बतलाता हूँ झूमो तुम सब मैखाने जाकर आओ ,रास्ता मैं बतलाता हूँ।।

मजदूर नहीं तो कुछ नहीं (Majdoor Diwas Par Vishesh) - Hindi Poem By Ashish Awasthi

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मजदूर नहीं तो हम नहीं, आप नहीं पुल नहीं,सड़क नहीं कारखानों  में भाप नहीं घर नहीं, नगर नहीं विकास का कोई माप नहीं मज़बूरी नहीं,लाचारी नहीं गरीबी का  ये सांप नहीं मेहनत नहीं, मजदूरी नहीं आराम का हिसाब नहीं कारखाने नहीं, उद्योग नहीं पेट की ऐसी  आग नहीं कपडे नहीं, खाना नहीं रहने को निवास नहीं कुएं नहीं , नहर नहीं बुझती कभी प्यास नहीं मजदूर नहीं तो कुछ नहीं हम नहीं , आप नहीं | |