Har ek chehara yahan par gulal hota hai- Best Urdu Ghazal Munnawar Rana
हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है
हमारे शहर मैं पत्थर भी लाल होता है
मैं शोहरतों की बुलंदी पर जा नहीं सकता
जहाँ उरूज पर पहुँचो ज़वाल होता है
मैं अपने बच्चों को कुछ भी तो दे नहीं पाया
कभी-कभी मुझे ख़ुद भी मलाल होता है
यहीं से अमन की तबलीग रोज़ होती है
यहीं पे रोज़ कबूतर हलाल होता है
मैं अपने आप को सय्यद तो लिख नहीं सकता
अजान देने से कोई बिलाल होता है
पड़ोसियों की दुकानें तक नहीं खुलतीं
किसी का गाँव में जब इन्तिकाल होता है ,.,!!!
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