Lao mujhe patware dedo ,Meri Jimmedari hai- Rahat Indauri Ghazal

सारी बस्ती क़दमों में है, ये भी इक फ़नकारी है वरना बदन को छोड़ के अपना जो कुछ है सरकारी है कालेज के सब लड़के चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिये चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है फूलों की ख़ुश्बू लूटी है, तितली के पर नोचे हैं ये रहजन का काम नहीं है, रहबर की मक़्क़ारीहै हमने दो सौ साल से घर में तोते पाल के रखे हैं मीर तक़ी के शेर सुनाना कौन बड़ी फ़नकारी है अब फिरते हैं हम रिश्तों के रंग-बिरंगे ज़ख्म लिये सबसे हँस कर मिलना-जुलना बहुत बड़ी बीमारी है दौलत बाज़ू हिकमत गेसू शोहरत माथा गीबत होंठ इस औरत से बच कर रहना, ये औरत बाज़ारी है कश्ती पर आँच आ जाये तो हाथ कलम करवा देना लाओ मुझे पतवारें दे दो, मेरी ज़िम्मेदारी है.,.,!!! ********************************************************** Sari basti kadmon me hai, ye bhi ek fankari hai Varna badan ko chhod ke apna jo kuchh hai sarkari hai Kalej ke sab ladke chup hai kagaj ki ek naav liye Charo taraf dariya ki surat faili hui bekari hai Foolon ki khushboo looti hai, titali ke par nonche hain Ye rahjan ka kaam nahi rahbar ki makkari hai Hamne do ...